Monday, September 17, 2007

ईश्वर की कहानियाँ -4

ईश्वर कल्पना करते थे कि धरती पर बच्चों के हाथों में बांसुरियां होंगी लेकिन जब उन्होंने देखा कि बच्चों के हाथों में पिस्तोलें हैं और ये उन्हें अमिताभ बच्चन ने थमाई हैं तो उनके विचार बदले कि इतनी सदियाँ बीत चुकीं हैं इस बीच आदमी ने स्वाभाविक है कुछ प्रगति भी की है।
------------------------------------------------------------------------------------
ईश्वर ईश्वर होकर भी उस दिन भूखे थे ।
दोपहर का वक्त था । दो आदमी बातें कर रहे थे ,'आदमी को बस आदमी का प्यार
चाहिए ।'
'और अगर दोपहर का एक बज चुका हो तो खाना भी चाहिए,'ईश्वर ने कहा लेकिन लोगों ने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया।
(कृपया १३ सितंबर और इससे पहले की पोस्ट भी देखें.)

1 comment:

आशुतोष कुमार said...

aapkaa likhaa hameshaa utkrisht hotaa hai.

maa se judi dono kavitayen marmik hain.maon ke jivit rahtebhee unhe kho denaa sambhav hai.

aapkee laghukathaon aur kavitaon me bhee wit amoolya hota hai