Wednesday, September 12, 2007

कविताएं-2

माँ जब जगाने आयी
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नींद और गहरी हुई
माँ जब जगाने आयी
पेड़ हरे-हरे हुए
पहाड़ गहरे-गहरे।


माँ के शव के पास रातभर जागने की स्मृति
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सबेर हुई जा रही है
माँ को उठाना है

प्राण होते तो माँ खुद उठतीं

माँ को उठाना है
nahlana hai
नए कपड़े पहनाने हैं
अंत तक ले जाना है
स्मृति को मिटाना है .

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