उन्होंने ऐसा कृत्रिम दूध बनाया, जो असली दूध को मात करे। उसे पीकर लोगों को लगा कि अब गाय -भैंस-बकरी सबकी ज़रूरत नहीं रही।फ़िर उन्होंने ऐसा मांस बनाया कि लोगों को किसी भी तरह के जानवरों की ज़रूरत नहीं रही। फ़िर उन्होंने ऐसे रोबोट बनाये, जिनमें मनुष्य का एक भी दुर्गुण नहीं था और गुण सारे थे।तो मनुष्यों की ज़रूरत नहीं रही। मनुष्यों की ज़रूरत नहीं रही तो प्रकृति की ज़रूरत भी नहीं रही।पानी,पक्षी,सूरज,चाँद,तारे,कविता किसी की ज़रूरत नहीं रही।घृणा और प्रेम की ज़रूरत नहीं रही।पृथ्वी तक की ज़रूरत नहीं रही।सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में घूमनेवाले रोबोट में पता नहीं फ़िर कहाँ से क्या गडबडी आयी कि फ़िर ब्रह्माण्ड की भी ज़रूरत नहीं रही।
7 comments:
romanchkari kintu bhaybhit kardenewali kalpana.
भविष्य को लेकर चिन्तित हो गया हूँ.
मुझे लगता है आपमें दुनिया देखने की अदभुत नज़र है...किसी चीज को ज्यादा करीब से देख लीजिए तो वो बड़ा तेज डराती भी है....
रचना अदभुत है, खासतौर से मशीनी समाज पर किया गया आपका कुठाराघात।
हर हफ्ते संडे न्ई दुनिया मैगजीन का इंतजार रहता है, क्योंकि आपका आलेख समाज को समझने का एक नया नजरिया प्रदान करता है। उसे इस ब्लाग पर भी दिया कीजिये।
बाप रे बाप!
Mai to samajh ta tha ki duniya ka vinash parlay ane se hone wala hai lekin ati nirman se bhi......
Satya Prakash Bhartiya
दूरदर्शी एवं गहरी सोच को सलाम।
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