Tuesday, October 23, 2007

कवितायेँ

सवाल-जवाब
..................
सवाल मत करो बेवकूफ
जवाब दो
सवाल करने का हक हमें है
और हम चाहें तो तुम्हारी ओर से जवाब भी दे सकते हैं
लेकिन हम तुम्हें जवाब देने दे रहे हैं
तो जवाब देने के हक का इस्तेमाल करो
और तुम्हें मालूम है न
जवाब क्या देना है
या यह भी हमें ठीक से बताना पड़ेगा तुम्हें ।


बिल्ली,चूहे और हज
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वह बिल्ली है
वह नौ सौ चूहे ज़रूर खायेगी
और फिर हज को भी जायेगी
और हज को जायेगी
तो हाजी कहलाने से
अपने को कैसे रोक पायेगी
और हाजी हो कर भी
खुद को चूहे खाने से कैसे रोक पायेगी
और मौका मिलेगा तो हज फिर से क्यों नहीं जायेगी ?
इसका मतलब है
कि चूहों की हालत में
इससे कोई तब्दीली नहीं आयेगी
चूहों की उम्मीद पर
बिल्ली कभी खरी नहीं उतर पायेगी
यानी बिल्ली कभी शाकाहारी नहीं बन पायेगी
यानी वह चूहों की हालत पर कभी तरस नहीं खायेगी
चूहे कितना भी चाहें
बिल्ली उनको समझने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखायेगी

वह तो नौ सौ चूहे भी खायेगी और हज पर भी जायेगी।

10 comments:

Ashish Maharishi said...

बहुत सही कविता है नागर जी...हमारे देश के नेताओं का चरित्र बिल्ली से मिलता जुलता है

ghughutibasuti said...

बहुत अच्छी कविताएँ हैं ।
घुघूती बासूती

अविनाश वाचस्पति said...

लगता है बिल्ली आपकी
दिल्ली निवासिनी है
बिल्लियों का प्रिय आहार है चूहा
उसे भला लगे न दूजा
वैसे वो कबूतर भी चट कर जाती है
पर तब हज को नहीं जाती है
यह बात हमें समझ नहीं आती है
चाहे खाए चूहा चाहे चबाए कबूतर
उसे दोनों ही स्थितियों में हज
जाकर हाजी जरूर कहलाना चाहिए
पर यह जिम्मेदारी बिल्ली की उतनी
नहीं है जितनी कवि कथाकारों की है
वे चाहेंगे तो बिल्ली ही क्यों
चूहे और कबूतर को भी हज पर
भेज कर ही दम लेंगे।

बोधिसत्व said...

सर कहीं रह गया था.....अनन्द आ रहा है आपको पढ़ कर....

Udan Tashtari said...

बहुत सुन्दर.आनन्द आ गया.

Manish Kumar said...

अच्छी लगी आपकी कविताएँ.

विष्णु नागर said...

sabhee bandhuaon ko hardik dhanywad-meree kavitayen pasand karne ke liye.

सुभाष नीरव said...

दोनों ही कविताएं अच्छी लगीं।

विजय गौड़ said...

चुहै, बिल्ली, बिलाव आदि के बिम्ब आपकी कविताओ मै खूब आते है. क्या इसकी कुच्च्ह खास वजह है ? आपकी कविताये मुझे अच्च्ही लगती है. सीधी सीधी होती है. इब्बार रब्बी जी और आप्की कविताओ मै एसी ही कुच्ह सामयता मुझे दिखायी देती है.

चंदन कुमार मिश्र said...

सवाल नहीं करूंगा, हुजूर।