पत्नी कहती है पति से
तुम पागल तो नहीं हो?
इसके जवाब में पति मुस्कुराता है
यहाँ तक कि पत्नी को बाहों में लेकर
चूमने लगता है
बाकी उनके बीच क्या होता है या क्या
नहीं होता हमें नहीं मालूम
पति कहता है फ़िर से प्लीज़ मुझे पागल कहो न
इस बार पत्नी सिर्फ़ मुस्कुराती है
ऐसे पति इतने पागल होते हैं
कि पत्नी बहुत दिनों तक उन्हें
पागल न कहे तो घबरा जाते हैं
और ऐसे हालत पैदा करते हैं कि
पत्नी को उन्हें पागल कहना ही पड़ता है
मेरे ख्याल से आप दोनों उन्हीं में से हैं।
Saturday, June 28, 2008
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13 comments:
sahi ?
ममता कालिया की लिखी कहानी - ऐक पत्नी के नोट्स- से भी यही भाव उत्पन्न होता है।- सफेद घर
कविता बहुत अच्छी लगी, गद्यकार इतने अच्छे पद्यकार भी हो सकते हैं पता न था.
क्या बात है नागर जी, क्या बोलती हुई कविता है । बधाई ।
आपका ब्लॉग देख कर अच्छा लगा था कि अब तो आपका धारदार चुटीला लेखन पढ़ने को मिलता रहेगा।पर जून के बाद से कोई पोस्ट ही नहीं!???
Aapke blog me aakar achcha laga lekin yah lamba sannata kyon?
guptasandhya.blogspot.com
विष्णु जी, आपकी नई रचनाओं का इंतजार है...
दोनों मतलब
कौन
मत रहना मौन
वाह विष्णु जी
नागर जी, छा गए गुरु...
Achchha anubhav hai nirvivaad,
'share' karne ke liye Dhanyavaad.
- Rajiv Nigam'Raj'.
मानव जीवन की बारीकियों से विष्णु जी खूब वाकिफ हैं। बढ़िया कविता।
यह ब्लॉग काफी समय से बंद क्यों है ? इसे जीवन्त कीजिए विष्णु जी।
jay ho
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