इनका क्या कहना
इनको तो जी हम अपना
एवरेस्ट मानते हैं
इतना कहकर
मैं संभलता
इससे पहले
उन्होंने मुझमें
अपने झंडे गाढ दिए
और चूंकि उनके पास
कैमरे थे
तो मैंने अपनी छटा
दिखाने में भी विलंब नहीं किया ।
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यह साहित्य का इलाका है
3 comments:
छटा दिखाने वाला बड़ा है कि झंडा गाड़ने वाला... गहरी पंक्तिया...
हा...हा...हा...हा...!
ब्लॉगजगत में आपको देखकर प्रसन्नता हुई।
कृपया फालोअर विजेट लगालें, जिससे आपके ब्लॉग की सभी गतिविधियों से अवगत होने में आसानी हो।
मित्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
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ब्लॉगसमीक्षा की 27वीं कड़ी!
आखिर इस दर्द की दवा क्या है ?
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