गलतियाँ करना कभी बंद नहीं होता
और उन्हें ठीक करना भी
नई के साथ पुरानी गलतियाँ भी हम करते हैं
और हर गलती न ठीक हो सकती है
और न हम ठीक कर पाते हैं, न करना चाहते हैं
कुछ गलतियाँ करके हम पछताते हैं
और कुछ गलतियाँ हम जान बूझकर करते हैं
जैसे कि किसी यह कह देना कि यार मैं तुमसे प्रेम करता हूँ
कुछ गलतियों के बारे में हमें कभी पता नहीं चलता
कई बार तो बताने पर भी हम यह जान नहीं पाते
बहरहाल मैं कसम खाता हूँ कि जब तक जिंदा हूँ गलतियाँ करता रहूँगा
अगर मैं अपनी किसी भी गलती के लिए माफी न मांगूं
तो समझना कि मैं हूँ नहीं।
Friday, April 4, 2008
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5 comments:
गलतियाँ
मेरे सही होने के
निशान बनाती रहीं
यह उस दौर की बात है
जब सही-गलत की ठेकेदारी के लिए
निविदाएँ आमंत्रित की जा रही थीं
दुनिया के पैमाने पर।
oh, sir, aap kitta gahra likhte hain....
aisi "गलतियाँ" karte rahiyega
जोरदार कविता है सर
मुझे तो पता हीं नहीं था कि आपका भी ब्लाग है
गलती वाली कविता 2-3 जगह पढ़कर यहाँ आ रहा हूँ। यह भी एक गलती है?
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