jab आप पैसे के पीछे भागते हैं और भागते चले जाते हैं तो एक दिन ऐसा आता है कि पैसा खुद आपके पीछे भागना शुरू कर देता है और तब आप इसलिए भाग रहे होते हैं कि पैसा आपके पीछे आपको पकड़ने की कोई जल्दी नहीं होती , वह तो बस इतना चाहता है कि आप लगातार भागते रहें और आप इस भ्रम में बने रहें कि वह आपको पकड़ना चाहता है और आप हैं कि उसकी पकड़ में नहीं आ रहे हैं । वह अपनी उदारता दिखाने के लिए यह तक करता है कि जब आप दौड़ते-दौड़ते गिर जाते हैं तो वह आपको उठाने का मौका देता है ताकि आप फिर से भाग सकें और वह आपको पकड़ने के लिए आपके पीछे भाग सके ।
वह आपकी मृत्यु तक आपका पीछा नहीं छोड़ता और यह तो मरनेवाला ही बता सकता है कि -जो कि वह नहीं बताता -कि उसके बाद भी वह पीछा छोड़ता है या नहीं लेकिन तत्वदर्शी बताते हैं कि पैसा इतना क्रूर होता है कि वह मरे हुए को भी नहीं छोड़ता।
मरा हुआ भी उसके डर से अनंतकाल तक भागता रहता है।वह इतना डर जाता है कि दुबारा मरना चाहता है लेकिन एक बार मरने के बाद दुबारा मृत्यु कहाँ ?दौड़ते- दौड़ते यह हालत हो जाती है कि मरने वाले को यह याद भी नहीं रहता कि वह क्यों और किस के डर से भाग रहा है मगर वह भागता चला जाता है जाने किन-किन नक्षत्रों को पार करते हुए ,बिना उनको देखे,बिना उनको जाने। वह सांस तक नहीं ले पाता,पसीना तक पोंछ नहीं पाता। इस तरह होते-होते एक दिन वह उल्कापिंड की तरह पृथ्वी पर गिर पङता है और तब जाकर उसे मुक्ति मिलती है क्योंकि पैसे की पकड़ से मुक्ति की भी पूरे ब्रह्मांड में एक ही जगह है- पृथ्वी।
Thursday, January 17, 2008
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